भारत-पाकिस्तान के बीच मौजूदा तनाव के माहौल में पहली बार भोपाल के शहर काजी मुश्ताक अली नदवी का बयान सामने आया है। उन्होंने देशवासियों से शांति, अमन और भाईचारे की अपील करते हुए कहा कि "जहां इंसान रहता है, वहां उसकी जान-माल, इज्जत और आबरू की हिफाजत करना इस्लामी नजरिए से भी फर्ज है। शहर काजी ने कहा कि देश से मोहब्बत और उसकी सुरक्षा करना न सिर्फ कानूनी जिम्मेदारी है, बल्कि मजहबी तौर पर भी यह इंसान का फर्ज बनता है। "हम जहां रह रहे हैं, उस मुल्क की हिफाजत करना हमारी जिम्मेदारी है।
शहर काजी ने कुरान का हवाला देते हुए कहा, "हजरत इब्राहीम अलेह सलाम ने दुआ की थी कि ऐ अल्लाह, इस शहर को अमन का शहर बना दे। आज हमें भी यही सीख लेनी चाहिए कि हम जहां रहें, वहां के लिए अमन और शांति की दुआ करें। उन्होंने आगे कहा, "अल्लाह ने हमें अपनी हिकमत से इस देश में पैदा किया है। हमारी दुआ है कि हमारा देश और प्रदेश अमन, चैन और तरक्की का गहवारा बने।
सीमा पर तैनात जवानों को दी दुआ काजी मुश्ताक अली ने सरहद पर तैनात देश के जांबाज सैनिकों के लिए दुआ की। उन्होंने कहा, "हम दुआ करते हैं कि अल्लाह हमारे देश के बहादुर जवानों की हिफाजत करे और उन्हें कामयाबी अता फरमाए। वे हमारे अमन और सुरक्षा के लिए दिन-रात एक किए हुए हैं। आखिर में उन्होंने कहा, "जो लोग अमन और भाईचारे के लिए मेहनत कर रहे हैं, अल्लाह उनकी हिफाजत और मदद करे। अल्लाह पूरी इंसानियत को सही राह दिखाए और हमारे मुल्क को हमेशा के लिए सुकून और सलामती का मर्कज बना दे।"
काजी साहब ने सख्त लहजे में कहा, "जो लोग इस देश की अमन-ओ-शांति में खलल डालना चाहते हैं, अल्लाह ऐसे लोगों के मंसूबों को नाकाम करे। उत्तर प्रदेश में हाल ही में एक व्यक्ति द्वारा गलती से कला लिखे झंडे को पैरों से रौंदने की घटना पर उन्होंने कहा कि, "यह सिर्फ एक गलतफहमी थी। इस मामले को जरूरत से ज्यादा तूल देना ठीक नहीं है।
दो दिन पहले रेप और ब्लैकमेलिंग मामले में दी थी प्रतिक्रिया इससे पहले शहर काजी ने हिंदू छात्राओं से रेप और ब्लैकमेलिंग मामले में तीखी प्रतिक्रिया दी थी। उन्होंने कहा था इस्लाम में ‘जिना’ यानी बलात्कार जैसे अपराध के लिए बेहद सख्त सजा का प्रावधान है। जिसमें दोषी को सार्वजनिक रूप से पत्थर मार-मार कर मौत की सजा दी जाती है या 100 कोड़े मारे जाते हैं। काजी ने साफ कहा कि इस्लाम में ऐसे दरिंदों की कोई जगह नहीं है और सरकार को ऐसे आरोपियों पर रहम नहीं, सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। बता दें कि 'जिना" एक इस्लामी कानूनी शब्द है। जिसका मतलब है नाजायज यौन संबंध। ऐसा यौन संबंध जो इस्लामी शरीयत के अनुसार वैध (निकाह के तहत) नहीं है।
काजी नदवी ने कहा, "इस्लाम में रेप को सबसे गंभीर अपराधों में गिना गया है। शरीयत के मुताबिक, अगर कोई शादीशुदा व्यक्ति ऐसा गुनाह करता है तो उसे सार्वजनिक रूप से पत्थर मार-मार कर मौत की सजा दी जाती है।
अगर वह अविवाहित है तो उसे 100 कोड़े लगाए जाते हैं। उन्होंने कहा कि इस्लाम की शिक्षाएं बहुत साफ हैं- जिना यानी बलात्कार या अवैध संबंध हराम है। किसी गैर-महिला को गलत नजर से देखना भी इस्लाम में गुनाह है। "जो लोग इस्लाम का नाम लेकर ऐसे कृत्य करते हैं, वे इस्लाम को बदनाम कर रहे हैं और खुद को बर्बाद कर रहे हैं। अल्लाह के इस कानून को लागू करने में कोई नरमी नहीं होनी चाहिए।