छत्तीसगढ़ हाउसिंग बोर्ड के मकानों पर छूट के बावजूद खरीददार नहीं मिल रहे हैं। जो मकान 10 साल से ज्यादा पुराने हो गए हैं, उन पर 10 से 30 प्रतिशत की छूट दी जा रही है। इसके बाद भी लोग रुचि नहीं दिखा रहे हैं। प्रदेशभर में ऐसे मकानों की अनुमानित कीमत करीब 380 करोड़ रुपए है।
इस कारण बोर्ड का राजस्व अटक गया है। इससे बोर्ड की बेचैनी धीरे-धीरे बढ़ने लगी है। बोर्ड ने मकान बेचने के लिए इस वर्ष भी टेंडर निकाला है। लेकिन मार्च माह में छूट की अवधि समाप्त होने तक महज 113 करोड़ के ही मकान सेल आउट हो पाए। इन आवासीय संपत्तियों में डब्ल्यूएस, एलआईजी, एमआईजी और एचआईजी शामिल हैं। जानकारों के मुताबिक बोर्ड के मकानों की गुणवत्ता खराब होने और शहर से बाहर होने के कारण भी खरीदार नहीं मिल रहे हैं।
हाउसिंग बोर्ड को प्रदेश में कुल 2651 मकान बेचना है। सबसे ज्यादा रायपुर जिले में बोरिया कला, डूमरतराई, पिरदा, नवा रायपुर सेक्टर 27 और 29 में 254 करोड़ के 1420 मकान हैं। इसी तरह बिलासपुर जिले में 50 करोड़ का अभिलाषा परिसर और तिफरा में 225 मकान है।
दुर्ग जिले में 44 करोड़ के परसदा, कुम्हारी और तालपुरी में 500 मकान हैं। ये मकान 5 साल से अधिक पुराने हैं। हालांकि इस वर्ष बोर्ड 757 मकान बेचने में सफल रहा है। इन मकानों की कीमत 103 करोड़ थी, लेकिन ऑफर रेट पर बेचने से बोर्ड को 10 करोड़ का फायदा हुआ है।
धीरे-धीरे जर्जर हो रहा ढांचा हाऊसिंह बोर्ड के ज्यादातर प्रोजेक्ट 2015 में लांच किए गए थे। बोर्ड का काफी पैसा इसमें फंस हुआ है। दूसरी तरफ खाली पड़े मकान धीरे-धीरे जर्जर हो रहे हैं।
क्यों नहीं बिक रहे बोर्ड के मकान
छूट की अवधि बढ़ाई गई
बोर्ड के अफसरों के मुताबिक 5 से 10 साल पुराने मकान पर 20 से 30 प्रतिशत और 10 साल से अधिक पुराने मकान पर 30 प्रतिशत की छूट दी जा रही है। पहली बार जो मकान डिस्काउंट की श्रेणी में आए हैं, उन पर 10 प्रतिशत छूट दी जा रही है। पहले ये स्कीम 31 मार्च 2025 तक थी, लेकिन बोर्ड ने इसे बढ़ाकर 30 जून 2027 कर दिया है।
हाऊसिंग बोर्ड ने छूट का ऑफर दिया है। लोगों को हम सस्ते दर पर मकान उपलब्ध करवा रहे हैं। छूट का फायदा लोग उठाएंगे। इसके साथ जो व्यवस्था में कमी है उसे भी सुधारा जाएगा। -अवनीश शरण, आयुक्त, हाऊसिंग बोर्ड छत्तीसगढ़