भोपाल। शहर में मनीषा तालाब के आसपास हरियाली से आच्छादित शाहपुरा क्षेत्र के लोगों की प्राणवायु छीनने की तैयारी हो चुकी है। सड़क चौड़ीकरण के नाम पर यहां लगे 10 से 50 वर्ष तक पुराने हरे पेड़ों को काटने के लिए सरकारी मशीनरी सक्रिय हो चुकी है। पेड़ों के इस कत्लेआम के दौरान तालाब के किनारे बने उस पार्क की बलि भी चढ़ने जा रही, जिसमें शाम ढलने पर बच्चे और बुजुर्ग खुले वातावरण में शुद्ध हवा लेने अपना समय गुजारने पहुंचते हैं।
पेड़ों को किया चिह्नांकित
जानकारी के मुताबिक निर्माण कार्य के लिए बावड़िया कलां से स्वर्ण जयंती पार्क तिराहा से बंसल अस्पताल के सामने से शैतान सिंह मार्केट तिराहा तक सड़क चौड़ीकरण होना है। इसके लिए नगर निगम की उद्यानिकी शाखा में पेड़ काटने की अनुमति लेने के लिए आवेदन भी लगाया जा चुका है। चिन्हित करने के बाद 132 पेड़ों पर लाल रंग से नंबर डालकर उनका डेथ वारंट भी बना दिया है। हालांकि स्थानीय जागरूक नागरिक की याचिका पर गुरुवार को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने पेड़ों की कटाई पर छह माह के लिए रोक लगा दी है। साथ ही प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाकर छह सप्ताह में स्थिति स्पष्ट करने को कहा है। कमेटी में कलेक्टर एवं पीसीसीएफ या उनके प्रतिनिधि भी शामिल रहेंगे।
हरियाली पर प्रहार
शाहपुरा निवासी एडवोकेट सानिध्य जैन ने बताया कि पीडब्ल्यूडी द्वारा शैतान सिंह मार्केट चौराहा से मनीषा मार्केट, बंसल अस्पताल, स्वर्ण जयंती पार्क, बावड़िया कलां तिराहा से कोलार रोड तक सड़क को चौड़ीकरण किए जाने की तैयारी की जा रही है। इसके लिए इन मार्गों पर लगे 250 से अधिक हरे-भरे पेड़ों को काटने की तैयारी की जा चुकी है। पेड़ों पर लाल स्याही से मार्किंग कर उन पर नंबर भी अंकित कर दिए गए हैं। सानिध्य का आरोप है कि पेड़ों की संख्या कम बताने के लिए कई पेड़ों पर एक से ही नंबर डाले गए हैं। इस तरह पीडब्ल्यूडी के राजधानी संभाग क्रमांक-एक द्वारा काटे जाने वाले पेड़ों की संख्या सिर्फ 132 बताई है। विभाग के कार्यपालन यंत्री ने इन पेड़ों को काटने के लिए नगर निगम के सहायक आयुक्त (उद्यान) को अनुमति के लिए दो अप्रैल 2024 को आवेदन भी दे दिया है। इसके तहत प्रति वृक्ष की कीमत छह हजार रुपये आंकते हुए 7,92,000 रुपये के शुल्क का डिमांड ड्राफ्ट भी संलग्न किया है। बताया गया है कि सड़क चौड़ीकरण से क्षेत्र में ट्रैफिक का घनत्व कम होगा।
इंजीनियर, निगमायुक्त से किया था अनुरोध
हरे-भरे पेड़ काटे जाने की जानकारी मिलने पर उन्होंने पीडब्ल्यूडी के कार्यपालन यंत्री आरसी गुप्ता को 23 अप्रैल को शिकायत की थी। उसमें बताया था कि हरे भरे पेड़ क्षेत्र के रहवासियों के लिए आक्सीजन टैंक की तरह हैं। अधिकतर पेड़ 10 से 50 वर्ष तक पुराने हैं। इन्हें काटने पर पर्यावरण को भारी क्षति पहुंचेगी। इस पर गुप्ता ने तर्क दिया था की ट्रैफिक के सुचारू संचालन के लिए सड़क का चोड़ीकरण किया जाना जरूरी है। सड़क निर्माण के लिए मशीन चलाने के कारण सड़क और उसके आसपास के पेड़ों को काटने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। 24 अप्रैल को उन्होंने नगर निगम आयुक्त हरेंद्र नारायण को भी शिकायत सौंपी थी। उसमें बताया था कि वर्तमान सड़क के आसपास का अतिक्रमण हटाकर सड़क का चौड़ीकरण किया जा सकता है। इसके लिए पेड़ों को काटना उचित नहीं है, लेकिन उन्होंने भी शिकायत को गंभीरता से नहीं लिया था। इसके बाद उन्होंने एनजीटी में याचिका लगाई थी। एनजीटी ने गुरुवार को उनका तर्क सुनने के बाद छह सप्ताह के लिए पेड़ों की कटाई पर रोक लगा दी है।