नई दिल्ली: उत्तराखंड सरकार ने हाल में बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि आयुर्वेद के 14 प्रॉडक्ट्स का लाइसेंस सस्पेंड कर दिया था। एक रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि प्रधानमंत्री कार्यालय के निर्देश के बाद बाबा रामदेव की कंपनी के खिलाफ यह कार्रवाई हुई है। पीएमओ को भेजी गई एक आरटीआई में शिकायत की गई थी कि पतंजलि आयुर्वेद आयुष उत्पादों के बारे में भ्रामक विज्ञापनों से जुड़े कानून का बार-बार उल्लंघन कर रही है। शिकायत में कंपनी के खिलाफ उचित कार्रवाई करने की मांग गई थी। उत्तराखंड की लाइसेंसिंग अथॉरिटी ने पतंजलि आयुर्वेद के 14 उत्पादों का लाइसेंस कैंसल करने के साथ ही कंपनी के खिलाफ हरिद्वार की एक अदालत में कानूनी कार्यवाही भी शुरू कर दी। कंपनी पर Drugs and Magic Remedies Act के उल्लंघन का आरोप है।
पतंजलि के खिलाफ दोनों एक्शन पीएमओ के निर्देश पर हुए। पीएमओ ने 24 जनवरी को आयुष मंत्रालय को इस बारे में जरूरी उपाय करने को कहा था। आरटीआई एक्टिविस्ट डॉ. वी के बाबू ने 15 जनवरी को इस बारे में पीएमओ को लिखा था। उनका कहना था कि पतंजलि आयुर्वेद बार-बार Drugs and Magic Remedies (Objectionable Advertisements) Act, 1954 का उल्लंघन कर रही है। पीएमओ ने अधिकारियों को इस बारे में की गई कार्रवाई का जानकारी बाबू को देने को कहा था। उत्तराखंड की स्टेट ड्रग लाइसेंस अथॉरिटी ने बाबू को भेजे रिस्पॉन्स में बताया कि पीएमओ ने उनकी शिकायत की जांच करने और इस पर उचित कार्रवाई करने को कहा था।
पीएमओ से शिकायत
अथॉरिटी ने रेस्पॉन्स में कहा कि डॉ. बाबू केवी ने दिव्य फार्मेसी और पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड द्वारा बनाई गई कुछ दवाओं के भ्रामक विज्ञापनों के बारे में शिकायत की थी। इस बारे में कई शिकायतें मिली थीं और संबंधित कंपनियों को कई बार चेतावनी और नोटिस जारी किए गए। लेकिन इसके बावजूद कुछ दवाओं के भ्रामक विज्ञापन जारी रहे, इसलिए अथॉरिटी को कंपनी के खिलाफ कार्रवाई करनी पड़ी। बाबू पिछले दो साल से बाबा रामदेव के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे थे। लेकिन राज्य सरकार इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं कर रही थी। इसके बाद बाबू ने पीएमओ और सुप्रीम कोर्ट से इसमें हस्तक्षेप करने की मांग की थी।